*भारत की करेंसी अर्थात राज मुद्राओं पर किसी भी भारतीय महापुरुषों के फोटो की मांग करना गलत...*
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*भारतीय करेंसी अर्थात नोटों / राज मुद्राओं पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ शीर्ष अर्थात चार सिंहों वाली राजमुद्रा ही होनी चाहिए |
*RSS मंडली ने नोटों पर डाॅ बाबा साहेब की फोटो लगाने के बाद शिवाजी महाराज और महामना ज्योतिबा फुले व अन्य 'मूल भारतीय' महापुरुषों की फोटो लगाने की चाल चलना शुरू कर दिया है | इसी के तहत RSS मंडली द्वारा मूल भारतीयों को ऐसी माँगे करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है |*
(सबूत —http://m.timesofindia.com/business/india-business/Bank-notes-RBI-considers-other-noteworthy-icons/articleshow/14193872.cms?utm_source=toimobile&utm_medium=Whatsapp&utm_campaign=referral).
*आगे चलकर वे बाल गंगाधर तिलक, सावरकर, जवाहरलाल नेहरू, केशव बलिराम हेडगेवार, मंगल पाण्डेय इत्यादि को भी करेंसी पर छापेंगे | फिर हम उनको कभी रोक नहीं पाएंगे | इसलिए इस मांग को रोककर "बौद्ध प्रतीक अर्थात भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ शीर्ष" को ही करेंसी पर छापने की माँग करें |*
2012 में RBI ने नोटों पर भिन्न- भिन्न राष्ट्रिय नेताओं के फोटो डालने का प्रस्ताव सामने लाया था | उस समय इंदिरा गांधी का फोटो नोट पर डाला जाए ऐसी मांग बड़े पैमाने पर की गयी थी | ऐसे नेताओं के फोटो अगर नोटों पर छपने लग जाए तो हमें डाॅ बाबा साहेब या अन्य महापुरुषों का फोटो नोटों पर आने की शर्म आएगी | 1987 से पहले महात्मा गांधी का फोटो नोटों पर नहीं था |
( सबूत —http://skithub.com/history-behind-mahatma-gandhis-picture-on-currency-notes/)
*उससे पहले सम्राट अशोक महान के चार सिंहों वाली बौद्ध राजमुद्रा देश के नोटों पर थी | इसलिए चार सिंहों के सारनाथ का प्रतीक ही नोटों पर होना चाहिए | अन्य महापुरुषों या डाॅ बाबा साहेब ने खुद को बड़ा करने के बजाय राष्ट्रीय बौद्ध प्रतीकों और धम्म को प्रस्थापित करने को कहा है |*
*भारत का राष्ट्रीय चिह्न : अशोक स्तम्भ शीर्ष —*
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*चार शेर चारों दिशाओं में एक -दूसरे से कमर सटाकर दहाड़ने की मुद्रा में खड़े हैं, इसका अर्थ यह है कि भगवान बुद्ध द्वारा उपदेशित 'धम्मचक्क प्पवत्तनसुत्त' को बुद्ध की सिंह गर्जना कहा गया है | बुद्ध धम्म में शेर को बुद्ध का पर्याय माना गया है | भगवान के पर्यायवाची शब्दों में 'शाक्यसिंह' शब्द भी सम्मिलित है | दूसरा, सिंह को बुद्ध धम्म में अहिंसा का द्योतक माना गया है | दहाड़ते हुए शेर 'धम्मचक्क प्पवत्तनसुत्त' के प्रतीक के रूप में दृष्टिमान है | शेरों की संख्या चार है, जिनका मुँह चारों दिशाओं की ओर है, यह इस कारण है, क्योंकि ये शेर चारों दिशाओं में गर्जना कर रहे हैं | तथागत बुद्ध ने वर्षावास की समाप्ति पर भिक्खुओं को चारों दिशाओं में जाकर लोक कल्याण करने का आदेश ऋषिपतन, सारनाथ में ही दिया था | इसलिए सारनाथ में 'सम्राट अशोक महान' ने चारों दिशाओं में सिंह -गर्जना करते हुए इन शेरों को बनवाया है | जिसमें 24 तिल्लियों वाला धम्मचक्र (बुद्ध के प्रतीत्य समुत्पाद का प्रतीक) और दूसरा 32 तिल्लियों वाला चक्र -बुद्धचक्र (तथागत बुद्ध के 32 महापुरुष लक्षणों का प्रतीक) है | यही कारण है, जो विश्वविजेता सम्राट अशोक महान ने शेर / सिंह को अपने राजचिह्न के रूप में चुना | जो आज भारत के राष्ट्रिय चिह्न के रूप में होकर भी भारत को चारों दिशाओं में अपना परचम लहराने का संदेश दे रहे हैं | चूंकि यह सिंह -स्तम्भ "विश्वविजेता सम्राट अशोक महान" ने बनवाया है | इसलिए इसे "अशोक स्तम्भ" और उसमें स्थापित 24 तिल्लियों वाले धम्मचक्र को "अशोक चक्र" कहा जाता है, जो भारत सरकार द्वारा भी सरकारी भाषा में मान्य है |*
*नोट : 'विश्व विजय के प्रतीक —सम्राट अशोक महान' द्वारा बनवाई हुई कलाकृतियाँ मुख्य रूप से बुद्ध प्रतीकों से ही ओत -प्रोत व प्रभावित हैं |*
*इसलिए सभी लोगों से अनुरोध है कि 'RSS की चाल' को समझते हुए भारत की करेंसी अर्थात राज मुद्राओं पर महापुरुषों के फोटो की मांग को रोक कर चार सिंहों वाली 'राष्ट्रीय बौद्ध राजमुद्रा' अर्थात "भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ शीर्ष" को ही छापने की मांग करें |*
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शाक्य हर्षिता मौर्य
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