Sunday, November 20, 2016

सबसे बड़ा सवाल —भारतीय करेंसी या राजमुद्राओं पर किसी भी महापुरुष के चित्र देने की मांग करना कहाँ तक उचित है ? पढ़ने के बाद अधिक से अधिक अपनी राय दें व शेयर करें...

*भारत की करेंसी अर्थात राज मुद्राओं पर किसी भी भारतीय महापुरुषों के फोटो की मांग करना गलत...*
*पढ़े, जागरूक करें व शेयर करें...*

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*भारतीय करेंसी अर्थात नोटों / राज मुद्राओं पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ शीर्ष अर्थात चार सिंहों वाली राजमुद्रा ही होनी चाहिए |
*RSS मंडली ने नोटों पर डाॅ बाबा साहेब की फोटो लगाने के बाद शिवाजी महाराज और महामना ज्योतिबा फुले व अन्य 'मूल भारतीय' महापुरुषों की फोटो लगाने की चाल चलना शुरू कर दिया है | इसी के तहत RSS मंडली द्वारा मूल भारतीयों को ऐसी माँगे करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है |*

(सबूत —http://m.timesofindia.com/business/india-business/Bank-notes-RBI-considers-other-noteworthy-icons/articleshow/14193872.cms?utm_source=toimobile&utm_medium=Whatsapp&utm_campaign=referral).
*आगे चलकर वे बाल गंगाधर तिलक, सावरकर, जवाहरलाल नेहरू, केशव बलिराम हेडगेवार, मंगल पाण्डेय इत्यादि को भी करेंसी पर छापेंगे | फिर हम उनको कभी रोक नहीं पाएंगे | इसलिए इस मांग को रोककर "बौद्ध प्रतीक अर्थात भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ शीर्ष" को ही करेंसी पर छापने की माँग करें |*
2012 में RBI ने नोटों पर भिन्न- भिन्न राष्ट्रिय नेताओं के फोटो डालने का प्रस्ताव सामने लाया था | उस समय इंदिरा गांधी का फोटो नोट पर डाला जाए ऐसी मांग बड़े पैमाने पर की गयी थी | ऐसे नेताओं के फोटो अगर नोटों पर छपने लग जाए तो हमें डाॅ बाबा साहेब या अन्य महापुरुषों का फोटो नोटों पर आने की शर्म आएगी | 1987 से पहले महात्मा गांधी का फोटो नोटों पर नहीं था |

( सबूत —http://skithub.com/history-behind-mahatma-gandhis-picture-on-currency-notes/)
*उससे पहले सम्राट अशोक महान के चार सिंहों वाली बौद्ध राजमुद्रा देश के नोटों पर थी | इसलिए चार सिंहों के सारनाथ का प्रतीक ही नोटों पर होना चाहिए | अन्य महापुरुषों या डाॅ बाबा साहेब ने खुद को बड़ा करने के बजाय राष्ट्रीय बौद्ध प्रतीकों और धम्म को प्रस्थापित करने को कहा है |*

*भारत का राष्ट्रीय चिह्न : अशोक स्तम्भ शीर्ष —*
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*चार शेर चारों दिशाओं में एक -दूसरे से कमर सटाकर दहाड़ने की मुद्रा में खड़े हैं, इसका अर्थ यह है कि भगवान बुद्ध द्वारा उपदेशित 'धम्मचक्क प्पवत्तनसुत्त' को बुद्ध की सिंह गर्जना कहा गया है | बुद्ध धम्म में शेर को बुद्ध का पर्याय माना गया है | भगवान के पर्यायवाची शब्दों में 'शाक्यसिंह' शब्द भी सम्मिलित है | दूसरा, सिंह को बुद्ध धम्म में अहिंसा का द्योतक माना गया है | दहाड़ते हुए शेर 'धम्मचक्क प्पवत्तनसुत्त' के प्रतीक के रूप में दृष्टिमान है | शेरों की संख्या चार है, जिनका मुँह चारों दिशाओं की ओर है, यह इस कारण है, क्योंकि ये शेर चारों दिशाओं में गर्जना कर रहे हैं | तथागत बुद्ध ने वर्षावास की समाप्ति पर भिक्खुओं को चारों दिशाओं में जाकर लोक कल्याण करने का आदेश ऋषिपतन, सारनाथ में ही दिया था | इसलिए सारनाथ में 'सम्राट अशोक महान' ने चारों दिशाओं में सिंह -गर्जना करते हुए इन शेरों को बनवाया है | जिसमें 24 तिल्लियों वाला धम्मचक्र (बुद्ध के प्रतीत्य समुत्पाद का प्रतीक) और दूसरा 32 तिल्लियों वाला चक्र -बुद्धचक्र (तथागत बुद्ध के 32 महापुरुष लक्षणों का प्रतीक) है | यही कारण है, जो विश्वविजेता सम्राट अशोक महान ने शेर / सिंह को अपने राजचिह्न के रूप में चुना | जो आज भारत के राष्ट्रिय चिह्न के रूप में होकर भी भारत को चारों दिशाओं में अपना परचम लहराने का संदेश दे रहे हैं | चूंकि यह सिंह -स्तम्भ "विश्वविजेता सम्राट अशोक महान" ने बनवाया है | इसलिए इसे "अशोक स्तम्भ" और उसमें स्थापित 24 तिल्लियों वाले धम्मचक्र को "अशोक चक्र" कहा जाता है, जो भारत सरकार द्वारा भी सरकारी भाषा में मान्य है |*

*नोट : 'विश्व विजय के प्रतीक —सम्राट अशोक महान' द्वारा बनवाई हुई कलाकृतियाँ मुख्य रूप से बुद्ध प्रतीकों से ही ओत -प्रोत व प्रभावित हैं |*

*इसलिए सभी लोगों से अनुरोध है कि 'RSS की चाल' को समझते हुए भारत की करेंसी अर्थात राज मुद्राओं पर महापुरुषों के फोटो की मांग को रोक कर चार सिंहों वाली 'राष्ट्रीय बौद्ध राजमुद्रा' अर्थात "भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ शीर्ष" को ही छापने की मांग करें |*

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शाक्य हर्षिता मौर्य 
    
                 *||| नमो बुद्धाय |||*       
                   *चलो धम्म की ओर*
                *चलो संविधान की ओर*
           
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Monday, November 7, 2016

शाक्य -मौर्य समाज की बेटी अाकांक्षा मौर्य बनीं —मिस वर्ल्ड ब्यूटी क्वीन __ शेयर करें...

शाक्य -मौर्य समाज की बेटी अाकांक्षा मौर्य बनीं —मिस वर्ल्ड ब्यूटी क्वीन...
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बरेली -वरिष्ठ संवाददाता 
प्रिंयका चोपड़ा और दिशा पाटनी के बाद बरेली की एक और बाला ने सौंदर्य प्रतियोगिता में बड़ी सफलता पाई है। लाल फाटक के पास एस एफ कॉलोनी में रहने वाली "आकांक्षा मौर्य" ने "मिस वर्ल्ड ब्यूटी क्वीन" का खिताब अपने नाम किया है । आर्मी में जॉब कर रहे गंगा राम मौर्य और आशारानी मौर्य की बेटी का सपना सुपर मॉडल बनने का है । केंद्रीय विद्यालय जेएलए कैंट से अपनी स्कूलिंग पूरी करने के साथ ही "आकांक्षा मौर्य" ने ग्लैमर वर्ल्ड में किस्मत आजमाना शुरू कर दिया । मिस नार्थ इंडिया 2016 का खिताब जीतने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा । इलीट मॉडल 2016 की फाइनलिस्ट रहीं आकांक्षा मौर्य के लिए 22 अक्टूबर 2016 का दिन यादगार बन गया । आकांक्षा मौर्य अगले वर्ष साउथ कोरिया में होने वाली इंटरनेशनल ब्यूटी कांटेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी । गुड़गांव में हुआ ग्रैंड फिनाले रूबरू मिस इण्डिया इलीट 2016 का ग्रैंड फिनाले 22 अक्टूबर को गुड़गांव के मयफील्ड गार्डन में हुआ । इसमें 20 प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए आकांक्षा मौर्य ने सफलता प्राप्त की ।

आकांक्षा मौर्य ने बताया कि सभी 20 लोगों को ग्लैमर इंडस्ट्री के नामी एक्सपर्ट ने ट्रेंड किया था । इनमें वैलनेस एक्सपर्ट वरुण कात्याल, ब्यूटी एक्सपर्ट रूपल त्यागी, ग्रूमिंग एक्सपर्ट रीता गंगवानी, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ अनुज चौधरी, रैंप वाक एक्सपर्ट मीनाक्षी माथुर, मेकओवर एक्सपर्ट डॉ. संगीता चौहान, लाइफ डिजाइनर डॉ. सीमा मिधा, फैशन स्टाइलिस्ट शैने सोनी आदि शामिल थे । संदीप कुमार ने इस प्रतियोगिता का आयोजन किया था ।

फिल्मों में बनाना है कॅरियर —आकांक्षा ने बताया कि एक सुपर मॉडल के रूप में खुद को स्थापित करने के साथ वो बॉलीवुड में कॅरियर बनानी चाहती हैं। बरेली की होने के कारण प्रियंका चोपड़ा मेरी आदर्श हैं |

बरेली की शाक्य -मौर्य समाज की बेटी "आकांक्षा मौर्य" और उनके परिवार को शाक्य -मौर्य वंश के लोगों की तरफ से ढेर सारी बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, मंगलकामनाएँ |
नमो बुद्धाय...

————————————शाक्य हर्षिता मौर्य